वीर तेजाजी महाराज
वीर तेजाजी महाराज
वीर तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खरनाल नामक गांव मे जाट जाति के धौल्या गोत्र (धौलिया वीर) में 1074 ई. ( वि. सं. 1130) की माघ शुक्ला चतुर्दशी मे हुआ था
वीर तेजाजी, खड़नाल (नागौर)
तेजाजी का जन्म- खड़नाल नागौर
✍पितां- ताहड़ व माता - रामकुंवरी , बहन - राजल
पत्नी - पैमलदे जो पनेर के रामचन्द्र की पुत्री थी
✍तेजाजी से संबंधित स्थल
खरनाल- तेजाजी का जन्म स्थान
सेदंरिया- अजमेर में अवस्थित इस स्थल पर तेजाजी को सांप ने डसा था
सुरसुरा- अजमेर में अवस्थित इस स्थल पर तेजाजी का समाधि स्थल है
पनेर- अजमेर में अवस्थित इस स्थल पर तेजाजी का ससुराल था
परबतसर- नागौर में अवस्थित इस स्थल पर भाद्रपद शुक्ल दशमी को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है
भांवता- अजमेर में स्थित इस स्थल में सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति का इलाज किया जाता है
दुगारी- बूंदी में यह स्थल तेजाजी की कर्म स्थली रही
✍️।
तेजाजी को 'धौलिया वीर' भी कहा जाता है
✍ तेजाजी की घोड़ी लीलण (सिणगारी) थी।
• तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायें मेहरों से छुड़ाने हेतु अपना बलिदान दिया था। इसलिए
तेजाजी को गौ-रक्षक व गायों का मुक्तिदाता
इन्हें 'काला और बाला' का देवता भी कहा जाता है।
• प्रत्येक किसान तेजाजी के गीत (तेजा टेर) के साथ ही बुवाई प्रारम्भ करता है।
• सर्पदंश का इलाज करने वाले तेजाजी के भोपे को 'घोड़ला' कहते हैं। राजस्थान के प्रायः हर गाँव में इनके थान या देवरे बने हुए हैं जहां तेजाजी की मूर्ति गांव के चबूतरे पर प्रतिष्ठित की जाती है।
• तेजाजी को ब्यावर कस्बे से 10 किमी दूर 'सैंदरिया गाँव' में सर्प ने डसा, तो सुरसरा (किशनगढ़ अजमेर) में वि.स. 1160 भाद्रपद शुक्ल दशमी (23 अगस्त, 1103 ई.) को उनकी मृत्यु हुई, जहाँ तेजाजी की मूर्ति को जागती जोत कहा जाता है।
विशेष : जागती जोत एवं हाथ का हुजूर नाकोड़ा जी (बालोतरा) को कहते है।
• सुरसरा (अजमेर) में इनका मंदिर था जिसकी मूर्ति को मारवाड़ के महाराजा अभयसिंह के काल में परबतसर का हाकिम 1734 ई. में परबतसर (डीडवाना-कुचामन) ले गया तब से तेजाजी का प्रमुख स्थल परबतसर (डीडवाना-कुचामन) में स्थापित हो गया।
अन्य नाम -
✍️अजमेर नागौर के लोक देवता
✍️कृषि कार्यों का उपारक देवता
किसानो के आराध्य देवता
✍️ सहरिया जाति के आराध्य देवता
◆ तेजाजी के नाम से परबतसर (डीडवाना-कुचामन) में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष दशमी (तेजा दशमी) को राजस्थान का सबसे बड़ा मेला लगता है जबकि इनका पशु मेला श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक भरता है।
तेजा जी के प्रमुख मंदिर सुरसरा (अजमेर), सैंदरिया (अजमेर), भांवता (अजमेर), खड़नाल (नागौर), तेजा चौक (ब्यावर), मण्डवारिया (अजमेर), बांसी दुगारी (बूंदी), केलवाड़ा (बारां) में है।
तेजाजी सहरिया जनजाति के भी आराध्य देव है।
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