तारकनाथ दास

 तारकनाथ दास

❖ तारकनाथ दास का जन्म 15 जून, 1884 को बंगाल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।
❖ कलकत्ता में अपनी कॉलेज शिक्षा के दौरान वे एक ब्रिटिश-विरोधी गुप्त संगठन से जुड़ गए।
❖ वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के उपरांत उन्होंने अपनी पढ़ाई त्याग दी और एक भिक्षुक छात्र के वेश में सम्पूर्ण भारतवर्ष में घूम-घूम कर क्रांतिकारी संदेश प्रसारित करने शुरू किए।


❖ जुलाई, 1906 में दास सिएटल पहुँचे तथा  कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में दाखिला लिया। 
❖ उन्होंने भारतीय प्रवासियों को संगठित करने के लिए काम किया।
❖ पुलिस के पीछे लग जाने पर युवा तारकनाथ वर्ष 1905 में साधु का वेश बनाकर ‘तारक ब्रह्मचारी’ के नाम से जापान चले गए।
❖ ब्रिटिश कोलंबिया की सिख आबादी के बीच अपनी राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखते हुए, दास ने वर्ष 1908 में ब्रिटिश भारत सरकार की नीतियों की निंदा करने और प्रतिरोध को प्रोत्साहित करने के लिए 'फ्री हिंदुस्तान' नामक एक मासिक पत्रिका शुरू की।
❖ दास ने कनाडा में रहते हुए भारतीय अप्रवासियों के लिए एक स्कूल शुरू की तथा उन्हें अंग्रेजी और राष्ट्रवाद की शिक्षा दी।


❖ 'फ्री हिंदुस्तान' पर प्रतिबंध लगने के उपरांत दास पुनः सिएटल चले गए।
❖ सिएटल लौटकर, दास ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने राजनीति विज्ञान में अपनी बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की।
❖ दास अरविन्द घोष, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा चितरंजन दास के घनिष्ठ मित्रों में से थे।
❖ पत्रकारिता तथा अन्य राजनीतिक गतिविधियों के साथ उन्होंने अपना छूटा हुआ अध्ययन भी आरंभ किया और 'वाशिंगटन यूनिवर्सिटी' से एम. ए. और 'जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी' से पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
❖ प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ होने पर वे शोध-कार्य के बहाने जर्मनी आ गए और वहाँ से भारत में 'अनुशीलन पार्टी' के अपने साथियों के लिए हथियार भेजने का प्रयत्न किया तथा इसके लिए उन्होंने यूरोप और एशिया के अनेक देशों की यात्रा की।
❖ कालांतर में जब वे अमेरिका पहुँचे तो उनकी गतिविधियों की सूचना अमेरिकी सरकार को भी हो गई।
❖ इस पर तारकनाथ दास पर अमेरिका में मुकदमा चला और उन्हें 22 महीने की जेल हुई।
❖ उन्होंने 'इंडिया इंस्टीट्यूट' और 'तारकनाथ दास फ़ाउंडेशन' नामक संस्थानों की स्थापना की।
❖ दास कुछ समय तक कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर भी रहे।
❖ वर्ष 1952 में भारत लौटने के पश्चात उन्होंने कोलकाता में 'विवेकानंद सोसाइटी' की स्थापना की।
❖ 22 दिसंबर, 1958 को दास का अमेरिका में देहांत हो गया।


Source utkarsh Classes

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