डॉ विक्रम साराभाई
डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई
👉 विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है। उनमें वैज्ञानिक, प्रवर्तक, उद्योगपति तथा दिव्यदर्शनद्रष्टा के विरल गुण थे।
👉 विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद के प्रगतिशील उद्योगपति के संपन्न परिवार में हुआ था। वे अंबालाल व सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे।
👉 उन्होंने प्राथमिक शिक्षा मोंटेसरी लाइन के निजी स्कूल ‘रिट्रीट’ से प्राप्त की।
👉 विक्रम साराभाई मैट्रिकुलेशन के बाद, कालेज शिक्षण, के लिए कैम्ब्रिज चले गये तथा वर्ष 1940 में सेंट जॉन कॉलेज से प्राकृतिक विज्ञान में ट्राइपोस किया। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में वे घर वापस आए तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में सर सी.वी. रमन के अधीन अनुसंधान छात्र के रूप में कार्य ग्रहण किया। उनके सौर भौतिकशास्त्र व कास्मिक किरण में रुचि के कारण, उन्होंने देश में कई प्रेक्षण स्टेशनों को स्थापित किया।
👉 उन्होंने आवश्यक उपकरणों का निर्माण किया तथा बेंगलुरु, पुणे व हिमालयों में मापन किया। वे वर्ष 1945 में कैम्ब्रिज वापस गए तथा वर्ष 1947 में उन्होंने विद्या वाचस्पति की शिक्षा पूर्ण की।
👉 घर वापस आने के बाद नंवबर, 1947 में अहमदाबाद में भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। उनके माता पिता के द्वारा स्थापित अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी के एम.जी विज्ञान संस्थान के कुछ कमरों में प्रयोगशाला को स्थापित किया गया। तदनंतर वैज्ञानिक व औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (CSIR) तथा परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा समर्थन भी मिला।
👉 विक्रम साराभाई ने कॉस्मिक किरणों के समय परिवर्तन पर अनुसंधान किया।
👉 विक्रम साराभाई ने सौर तथा अंतरग्रहीय भौतिकी में अनुसंधान के नए क्षेत्रों के सुअवसरों की कल्पना की थी।
👉 वर्ष 1957-1958 को अंतर्राष्ट्रीय भू-भौतिकी वर्ष (IGW) के रूप में देखा जाता है। साराभाई द्वारा IGW के लिए भारतीय कार्यक्रम एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। 1957 में स्पूतनिक-1 के प्रमोचन ने उनको अंतरिक्ष विज्ञान के नये परिदृश्यों से अवगत करवाया। तदनंतर, उनकी अध्यक्षता में अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) का गठन किया गया।
⬧ थुम्बा का विशेष नक्शा कि वह भू-चुबंकीय मध्यरेखा के निकट है, को देखते हुए विक्रम साराभाई ने तिरुवनंतपुरम के पास अरबी तट पर स्थित एक मछुवाही गाँव थुम्बा में देश के प्रथम रॉकेट प्रमोचन स्टेशन, थुम्बा भू-मध्य रेखीय रॉकेट प्रमोचन स्टेशन (TERLS) की स्थापना का चयन किया।
👉 इस साहस में, उनको होमी जहाँगीर भाभा जो उस समय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे, से सक्रिय सहयोग मिला था। नवंबर 21, 1963 को सोडियम वाष्प नीतभार के साथ प्रथम रॉकेट का प्रमोचन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महा सभा ने 1965 में, TERLS को एक अंतर्राष्ट्रीय सुविधा के रूप में मान्यता दी।
👉 विमान दुर्घटना में होमी जहाँगीर भाभा के आकस्मिक मृत्यु के बाद, विक्रम साराभाई ने मई, 1966 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष पद को संभाला।
👉 उन्होंने राष्ट्र के वास्तविक संसाधन की तकनीकी तथा आर्थिक मूल्यांकन के आधार पर देश की समस्याओं के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में सक्षमता प्राप्त करने की दिशा में कार्य किया। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की, जो आज पूरे विश्व में विख्यात है।
👉 डॉ. विक्रम साराभाई ने वर्ष 1962 में ‘शांति स्वरूप भटनागर’ पदक प्राप्त किया। राष्ट्र ने वर्ष 1966 में ‘पद्म भूषण’ तथा वर्ष 1972 में ‘पद्म विभूषण’ (मृत्योपरांत) से सम्मानित किया।
👉 विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसंबर, 1971 को हुई थी।
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